कोई हंगामा उठाया जाए

कोई हंगामा उठाया जाए

बे-सबब शोर मचाया जाए


किस के आँगन में नहीं दीवारें

किस को जंगल में बुलाया जाए


उस से दो-चार बार और मिलें

जिस को दिल से न भुलाया जाए


मर गया साँप नदी ख़ुश्क हुई

रेत का ढेर उठाया जाए