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GHAZAL

जो भला है उसे बुरा मत कर

जो भला है उसे बुरा मत कर

ख़ुद से भी बारहा मिला मत कर

ये है बस्ती उदास लोगों की

क़हक़हा मार कर हिंसा मत कर

बाग़ है दिल फ़रेब दोनों से

फूल को ख़ार से जुदा मत कर

रोज़ की ला'न-ता'न ठीक नहीं

घर में आईने को रखा मत कर

चेहरा मोहरा बदलता रहता है

इतनी जल्दी भी फ़ैसला मत कर

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