जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया

बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया


चार घरों के एक मोहल्ले के बाहर भी है आबादी

जैसी तुम्हें दिखाई दी है सब की वही नहीं है दुनिया


घर में ही मत उसे सजाओ इधर उधर भी ले के जाओ

यूँ लगता है जैसे तुम से अब तक खुली नहीं है दुनिया


भाग रही है गेंद के पीछे जाग रही है चाँद के नीचे

शोर भरे काले नारों से अब तक डरी नहीं है दुनिया