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GHAZAL

जिसे देखते ही ख़ुमारी लगे

जिसे देखते ही ख़ुमारी लगे

उसे उम्र सारी हमारी लगे

उजाला सा है उस के चारों तरफ़

वो नाज़ुक बदन पाँव भारी लगे

वो ससुराल से आई है माइके

उसे जितना देखो वो प्यारी लगे

हसीन सूरतें और भी हैं मगर

वो सब सैकड़ों में हज़ारी लगे

चलो इस तरह से सजाएँ उसे

ये दुनिया हमारी तुम्हारी लगे

उसे देखना शेर-गोई का फ़न

उसे सोचना दीन-दारी लगे

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जिसे देखते ही ख़ुमारी लगे — Nida Fazli • ShayariPage