जब भी किसी ने ख़ुद को सदा दी

जब भी किसी ने ख़ुद को सदा दी

सन्नाटों में आग लगा दी


मिट्टी उस की पानी उस का

जैसी चाही शक्ल बना दी


छोटा लगता था अफ़्साना

मैं ने तेरी बात बढ़ा दी


जब भी सोचा उस का चेहरा

अपनी ही तस्वीर बना दी


तुझ को तुझ में ढूँढ के हम ने

दुनिया तेरी शान बढ़ा दी