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GHAZAL

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी

अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी

ख़ूँ-ख़्वार दरिंदों के फ़क़त नाम अलग हैं

हर शहर बयाबान यहाँ भी है वहाँ भी

हिन्दू भी सुकूँ से है मुसलमाँ भी सुकूँ से

इंसान परेशान यहाँ भी है वहाँ भी

रहमान की रहमत हो कि भगवान की मूरत

हर खेल का मैदान यहाँ भी है वहाँ भी

उठता है दिल-ओ-जाँ से धुआँ दोनों तरफ़ ही

ये 'मीर' का दीवान यहाँ भी है वहाँ भी

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इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी — Nida Fazli • ShayariPage