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GHAZAL

एक ही धरती हम सब का घर जितना तेरा उतना मेरा

एक ही धरती हम सब का घर जितना तेरा उतना मेरा

दुख सुख का ये जंतर-मंतर जितना तेरा उतना मेरा

गेहूँ चावल बाँटने वाले झूटा तौलें तो क्या बोलें

यूँ तो सब कुछ अंदर बाहर जितना तेरा उतना मेरा

हर जीवन की वही विरासत आँसू सपना चाहत मेहनत

साँसों का हर बोझ बराबर जितना तेरा उतना मेरा

साँसें जितनी मौजें उतनी सब की अपनी अपनी गिनती

सदियों का इतिहास समुंदर जितना तेरा उतना मेरा

ख़ुशियों के बटवारे तक ही ऊँचे नीचे आगे पीछे

दुनिया के मिट जाने का डर जितना तेरा उतना मेरा

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