दुआ सलाम में लिपटी ज़रूरतें माँगे

दुआ सलाम में लिपटी ज़रूरतें माँगे

क़दम क़दम पे ये बस्ती तिजारतें माँगे


कहाँ हर एक को आती है रास बर्बादी

नए सफ़र की मसाफ़त ज़िहानतें माँगे


चमकते कपड़े महकता ख़ुलूस पुख़्ता मकाँ

हर एक बज़्म में इज़्ज़त हिफ़ाज़तें माँगे


कोई धमाका कोई चीख़ कोई हंगामा

लहू बदन का लहू की शबाहतें माँगे


कोई न हो मिरे तिरे अलावा बस्ती में

कभी कभी यही जज़्बा रिक़ाबतें माँगे