Shayari Page
GHAZAL

दुआ सलाम में लिपटी ज़रूरतें माँगे

दुआ सलाम में लिपटी ज़रूरतें माँगे

क़दम क़दम पे ये बस्ती तिजारतें माँगे

कहाँ हर एक को आती है रास बर्बादी

नए सफ़र की मसाफ़त ज़िहानतें माँगे

चमकते कपड़े महकता ख़ुलूस पुख़्ता मकाँ

हर एक बज़्म में इज़्ज़त हिफ़ाज़तें माँगे

कोई धमाका कोई चीख़ कोई हंगामा

लहू बदन का लहू की शबाहतें माँगे

कोई न हो मिरे तिरे अलावा बस्ती में

कभी कभी यही जज़्बा रिक़ाबतें माँगे

Comments

Loading comments…
दुआ सलाम में लिपटी ज़रूरतें माँगे — Nida Fazli • ShayariPage