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GHAZAL

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती

ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

कुछ लोग यूँही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं

हर एक से अपनी भी तबीअ'त नहीं मिलती

देखा है जिसे मैं ने कोई और था शायद

वो कौन था जिस से तिरी सूरत नहीं मिलती

हँसते हुए चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत

रोने की यहाँ वैसे भी फ़ुर्सत नहीं मिलती

निकला करो ये शम्अ लिए घर से भी बाहर

कमरे में सजाने को मुसीबत नहीं मिलती

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