चाँद से फूल से या मेरी ज़बाँ से सुनिए

चाँद से फूल से या मेरी ज़बाँ से सुनिए

हर जगह आप का क़िस्सा है जहाँ से सुनिए


क्या ज़रूरी है कि हर पर्दा उठाया जाए

मेरे हालात भी अपने ही मकाँ से सुनिए


सब को आता नहीं दुनिया को सजा कर जीना

ज़िंदगी किया है मोहब्बत की ज़बाँ से सुनिए


कौन पढ़ सकता है पानी पे लिखी तहरीरें

किस ने क्या लिक्खा है ये आब-ए-रवाँ से सुनिए


चाँद में कैसे हुई क़ैद किसी घर की ख़ुशी

ये कहानी किसी मस्जिद की अज़ाँ से सुनिए