आनी जानी हर मोहब्बत है चलो यूँ ही सही

आनी जानी हर मोहब्बत है चलो यूँ ही सही

जब तलक है ख़ूबसूरत है चलो यूँ ही सही

हम कहाँ के देवता हैं बेवफ़ा वो हैं तो क्या

घर में कोई घर की ज़ीनत है चलो यूँ ही सही

वो नहीं तो कोई तो होगा कहीं उस की तरह

जिस्म में जब तक हरारत है चलो यूँ ही सही

मैले हो जाते हैं रिश्ते भी लिबासों की तरह

दोस्ती हर दिन की मेहनत है चलो यूँ ही सही

भूल थी अपनी फ़रिश्ता आदमी में ढूँडना

आदमी में आदमिय्यत है चलो यूँ ही सही

जैसी होनी चाहिए थी वैसी तो दुनिया नहीं

दुनिया-दारी भी ज़रूरत है चलो यूँ ही सही