उसे मेरी याद सताएगी इस पर मुझे शक है
उसे मेरी याद सताएगी इस पर मुझे शक है
कभी बरसात रुलाएगी इस पर मुझे शक है
बड़े खुलूस से ये कहता हूँ कि वो हया की मूरत है
लेकिन कभी शर्माएगी इस पर मुझे शक है
बहुत ही शौक से वो कर लेती है अहद-ए-वफ़ा
लेकिन कभी निभाएगी इस पर मुझे शक है
वो बनेगी शौक और जुनून बनेगी तुम्हारा
आदत में ढल जाएगी इस पर मुझे शक है
उतर तो गई हैं अदाएं दरिया-ए-दिल में
कभी संभल पाएगी इस पर मुझे शक है
कई बार बदली है जुस्तजू-ए-दिल-ए-शिकस्ता
फिर से बदल जाएगी इस पर मुझे शक है