Shayari Page
GHAZAL

उसे मेरी याद सताएगी इस पर मुझे शक है

उसे मेरी याद सताएगी इस पर मुझे शक है

कभी बरसात रुलाएगी इस पर मुझे शक है

बड़े खुलूस से ये कहता हूँ कि वो हया की मूरत है

लेकिन कभी शर्माएगी इस पर मुझे शक है

बहुत ही शौक से वो कर लेती है अहद-ए-वफ़ा

लेकिन कभी निभाएगी इस पर मुझे शक है

वो बनेगी शौक और जुनून बनेगी तुम्हारा

आदत में ढल जाएगी इस पर मुझे शक है

उतर तो गई हैं अदाएं दरिया-ए-दिल में

कभी संभल पाएगी इस पर मुझे शक है

कई बार बदली है जुस्तजू-ए-दिल-ए-शिकस्ता

फिर से बदल जाएगी इस पर मुझे शक है

Comments

Loading comments…
उसे मेरी याद सताएगी इस पर मुझे शक है — Murli Dhakad • ShayariPage