सभी के हिस्से में बेबसी नही आती
सभी के हिस्से में बेबसी नही आती
दर्द की बातों पर अब हँसी नही आती
क़यामत क़यामत से जुदा होती है
मौत सभी को एक सी नहीं आती
क्यों लोग हँसते हँसते रो देते हैं
क्यों रोते रोते किसी को हँसी नही आती
हम जिंदगी को खुशगवार समझते हैं
हमको मगर खुद पर हँसी नही आती
सहज ही रो देते हैं किसी को रोता देखकर
हँसता देखकर मगर हँसी नही आती