GHAZAL•
सभी के हिस्से में बेबसी नही आती
By Murli Dhakad
सभी के हिस्से में बेबसी नही आती
दर्द की बातों पर अब हँसी नही आती
क़यामत क़यामत से जुदा होती है
मौत सभी को एक सी नहीं आती
क्यों लोग हँसते हँसते रो देते हैं
क्यों रोते रोते किसी को हँसी नही आती
हम जिंदगी को खुशगवार समझते हैं
हमको मगर खुद पर हँसी नही आती
सहज ही रो देते हैं किसी को रोता देखकर
हँसता देखकर मगर हँसी नही आती