रात जैसे जैसे ढलती जा रही है
रात जैसे जैसे ढलती जा रही है
कोई कसक दिल में मचलती जा रही है
कोई गुनाह कर लिया होता
उम्र नाहक ढलती जा रही है
तस्कीन-ए-दिल की तलाश में
मेरी हैसियत बदलती जा रही है
नही जुनून का मुकाबला इश्क़ से
हैरत है तक़रीर बदलती जा रही है
'रिंद' अब जिंदा नहीं रहे शायद
ज़िंदगी संभलती जा रही है