परिंदे की परवाज सुनाई दी है

परिंदे की परवाज सुनाई दी है

गगन में कोई आवाज सुनाई दी है

ये कांसा टूटा या दिल था किसी का

सिक्कों के बिखरने की आवाज सुनाई दी है

मैं सोचता था दिल धड़कता तो होगा

मुद्दतों बाद आज आवाज सुनाई दी है

मैं जब भी किसी अनजान शहर से गुजरा

मुझे एक जानी पहचानी आवाज सुनाई दी है

याद तुम्हारी बारहा तो नही आई मगर

मुझे अक्सर तुम्हारी आवाज सुनाई दी है