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GHAZAL

परिंदे की परवाज सुनाई दी है

परिंदे की परवाज सुनाई दी है

गगन में कोई आवाज सुनाई दी है

ये कांसा टूटा या दिल था किसी का

सिक्कों के बिखरने की आवाज सुनाई दी है

मैं सोचता था दिल धड़कता तो होगा

मुद्दतों बाद आज आवाज सुनाई दी है

मैं जब भी किसी अनजान शहर से गुजरा

मुझे एक जानी पहचानी आवाज सुनाई दी है

याद तुम्हारी बारहा तो नही आई मगर

मुझे अक्सर तुम्हारी आवाज सुनाई दी है

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परिंदे की परवाज सुनाई दी है — Murli Dhakad • ShayariPage