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GHAZAL

दिल दुखाने को आए हो तुम

दिल दुखाने को आए हो तुम

फिर रुलाने को आए हो तुम

क्या नए किस्म का कुछ सितम

आजमाने को आए हो तुम

चिट्ठियां लाए हो या परन्द

आबोदाने को आए हो तुम

पास आओगे या दूरियां

और बढ़ाने को आए हो तुम

जलने दो मेरे दिल का चराग़

क्यों बुझाने को आए हो तुम

दिल में है एक अजब सी लहर

कि बुलाने को आए हो तुम

हम जैसे फ़क़ीरों के पास

क्या चुराने को आए हो तुम

ये न कहना कि इस बार तो

कुछ गंवाने को आए हो तुम

मान लूं मैं कि मजबूर हो तुम

क्या हंसाने को आए हो तुम

रेत पर जो लिखा ही नहीं

वो मिटाने को आए हो तुम

तुमको है कुछ खबर कुछ हिसाब

एक जमाने को आए हो तुम

मुझको शक है बहारों का गीत

गुनगुनाने को आए हो तुम

महके महके इशारों से क्या

घर गिराने को आए हो तुम

अब समंदर में घर है मेरा

क्या डूबाने को आए हो तुम

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