बनने बिगड़ने के रास्ते, सारे बवाल छोड़ चुके
बनने बिगड़ने के रास्ते, सारे बवाल छोड़ चुके
हम अपनी ज़िन्दगी को, ज़िन्दगी के हाल छोड़ चुके
रोशनी के नाम से, की न जुगनुओं से दोस्ती
साथ जो साया लाए थे, वो भी निढाल छोड़ चुके
शाम-ए-सबा की ज़ुल्फ़ में करके ग़मों का मुआयना
सारी धमाल छोड़ चुके, सारे कमाल छोड़ चुके
साक़ी की एक नजर पे ही सारी किताबें गिर गई
सारे जवाब पा लिए, सारे सवाल छोड़ चुके
फासला तो फ़क़त, था एक ही रात का
सारी उम्मीदें भर गई, सारे मलाल छोड़ चुके