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तमाम जिस्म को आँखें बना के राह तको

तमाम जिस्म को आँखें बना के राह तको

तमाम खेल मुहब्बत में इंतज़ार का है

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तमाम जिस्म को आँखें बना के राह तको — Munawwar Rana • ShayariPage