मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दींMunawwar Rana@munawwar-ranaमैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दींसिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़-ए-माँ रहने दिया