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जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है

जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है

माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है

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जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है — Munawwar Rana • ShayariPage