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चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है

मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

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चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है — Munawwar Rana • ShayariPage