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GHAZAL

तुम्हारे जिस्म की ख़ुश्बू गुलों से आती है

तुम्हारे जिस्म की ख़ुश्बू गुलों से आती है

ख़बर तुम्हारी भी अब दूसरों से आती है

हमीं अकेले नहीं जागते हैं रातों में

उसे भी नींद बड़ी मुश्किलों से आती है

हमारी आँखों को मैला तो कर दिया है मगर

मोहब्बतों में चमक आँसुओं से आती है

इसी लिए तो अँधेरे हसीन लगते हैं

कि रात मिल के तिरे गेसुओं से आती है

ये किस मक़ाम पे पहुँचा दिया मोहब्बत ने

कि तेरी याद भी अब कोशिशों से आती है

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तुम्हारे जिस्म की ख़ुश्बू गुलों से आती है — Munawwar Rana • ShayariPage