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GHAZAL

हँसते हुए माँ-बाप की गाली नहीं खाते

हँसते हुए माँ-बाप की गाली नहीं खाते

बच्चे हैं तो क्यूँ शौक़ से मिट्टी नहीं खाते

तुम से नहीं मिलने का इरादा तो है लेकिन

तुम से न मिलेंगे ये क़सम भी नहीं खाते

सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर

मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते

बच्चे भी ग़रीबी को समझने लगे शायद

अब जाग भी जाते हैं तो सहरी नहीं खाते

दावत तो बड़ी चीज़ है हम जैसे क़लंदर

हर एक के पैसों की दवा भी नहीं खाते

अल्लाह ग़रीबों का मदद-गार है 'राना'

हम लोगों के बच्चे कभी सर्दी नहीं खाते

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