ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री 'ग़ालिब'

ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री 'ग़ालिब'

हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे