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वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है

वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है

कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं

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वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है — Mirza Ghalib • ShayariPage