उस लब से मिल ही जाएगा बोसा कभी तो हाँ

उस लब से मिल ही जाएगा बोसा कभी तो हाँ

शौक़-ए-फ़ुज़ूल ओ जुरअत-ए-रिंदाना चाहिए