तुम न आए तो क्या सहर न हुईMirza Ghalib@mirza-ghalibतुम न आए तो क्या सहर न हुई हाँ मगर चैन से बसर न हुई मेरा नाला सुना ज़माने ने एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई