SHER•12/17/2024रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न होBy Mirza GhalibLikeShareReportHindiEnglishरहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न होहम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बाँ कोई न हो