कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को Mirza Ghalib@mirza-ghalibकोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता