SHER•10/24/2020क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँBy Mirza GhalibLikeShareReportHindiEnglishक़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन