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कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है

कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है

मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता

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कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है — Mirza Ghalib • ShayariPage