SHER•2/14/2023गो मैं रहा रहीन-ए-सितम-हा-ए-रोज़गारBy Mirza GhalibLikeShareReportHindiEnglishगो मैं रहा रहीन-ए-सितम-हा-ए-रोज़गारलेकिन तिरे ख़याल से ग़ाफ़िल नहीं रहा