SHER•12/6/2024ग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल हैBy Mirza GhalibLikeShareReportHindiEnglishग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल हैग़म-ए-इश्क़ गर न होता ग़म-ए-रोज़गार होता