Shayari Page
SHER

'ग़ालिब' न कर हुज़ूर में तू बार बार अर्ज़

'ग़ालिब' न कर हुज़ूर में तू बार बार अर्ज़

ज़ाहिर है तेरा हाल सब उन पर कहे बग़ैर

Comments

Loading comments…
'ग़ालिब' न कर हुज़ूर में तू बार बार अर्ज़ — Mirza Ghalib • ShayariPage