SHER•9/9/2024बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुलBy Mirza GhalibLikeShareReportHindiEnglishबुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुलकहते हैं जिसको इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का