बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे Mirza Ghalib@mirza-ghalibबाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे