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अपनी गली में मुझको न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल

अपनी गली में मुझको न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल

मेरे पते से ख़ल्क़ को क्यूँ तेरा घर मिले

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अपनी गली में मुझको न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल — Mirza Ghalib • ShayariPage