SHER•5/8/2021आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल मेंBy Mirza GhalibLikeShareReportHindiEnglishआते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में 'ग़ालिब' सरीर-ए-ख़ामा नवा-ए-सरोश है