SHER•10/25/2020आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसेBy Mirza GhalibLikeShareReportHindiEnglishआईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे