ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है

ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है

कुशाद-ओ-बस्त-ए-मिज़्हा सीली-ए-नदामत है


न जानूँ क्यूँकि मिटे दाग़-ए-तान-ए-बद-अहदी

तुझे कि आइना भी वार्ता-ए-मलामत है


ब-पेच-ओ-ताब-ए-हवस सिल्क-ए-आफ़ियत मत तोड़

निगाह-ए-अज्ज़ सर-ए-रिश्ता-ए-सलामत है


वफ़ा मुक़ाबिल-ओ-दावा-ए-इश्क़ बे-बुनियाद

जुनूँ-ए-साख़्ता ओ फ़स्ल-ए-गुल क़यामत है