जुनूँ तोहमत-कश-ए-तस्कीं न हो गर शादमानी की

जुनूँ तोहमत-कश-ए-तस्कीं न हो गर शादमानी की

नमक-पाश-ए-ख़राश-ए-दिल है लज़्ज़त ज़िंदगानी की


कशाकश-हा-ए-हस्ती से करे क्या सई-ए-आज़ादी

हुई ज़ंजीर मौज-ए-आब को फ़ुर्सत रवानी की


पस-अज़-मुर्दन भी दीवाना ज़ियारत-गाह-ए-तिफ़्लाँ है

शरार-ए-संग ने तुर्बत पे मेरी गुल-फ़िशानी की