जो न नक़्द-ए-दाग़-ए-दिल की करे शोला पासबानी

जो न नक़्द-ए-दाग़-ए-दिल की करे शोला पासबानी

तो फ़सुर्दगी निहाँ है ब-कमीन-ए-बे-ज़बानी


मुझे उस से क्या तवक़्क़ो ब-ज़माना-ए-जवानी

कभी कूदकी में जिस ने न सुनी मिरी कहानी


यूँ ही दुख किसी को देना नहीं ख़ूब वर्ना कहता

कि मिरे अदू को या रब मिले मेरी ज़िंदगानी