फ़रियाद की कोई लय नहीं है

फ़रियाद की कोई लय नहीं है

नाला पाबंद-ए-नय नहीं है


क्यूँ बोते हैं बाग़बाँ तोंबे

गर बाग़ गदा-ए-मय नहीं है


हर-चंद हर एक शय में तू है

पर तुझ सी कोई शय नहीं है


हाँ खाइयो मत फ़रेब-ए-हस्ती

हर-चंद कहें कि है नहीं है


शादी से गुज़र कि ग़म न होवे

उरदी जो न हो तो दय नहीं है


क्यूँ रद्द-ए-क़दह करे है ज़ाहिद

मय है ये मगस की क़य नहीं है


हस्ती है न कुछ अदम है 'ग़ालिब'

आख़िर तू क्या है ऐ नहीं है