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क़सम ख़ुदा की बड़े तजरबे से कहता हूँ

क़सम ख़ुदा की बड़े तजरबे से कहता हूँ

गुनाह करने में लज़्ज़त तो है सुकून नहीं

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क़सम ख़ुदा की बड़े तजरबे से कहता हूँ — Mehshar Afridi • ShayariPage