Shayari Page
SHER

मैं न कहता था हिज्र कुछ भी नहीं

मैं न कहता था हिज्र कुछ भी नहीं

ख़ुद को हलकान कर रही थी तुम

कितने आराम से हैं हम दोनों

देखा बेकार डर रही थी तुम

Comments

Loading comments…
मैं न कहता था हिज्र कुछ भी नहीं — Mehshar Afridi • ShayariPage