मैं न कहता था हिज्र कुछ भी नहीं
मैं न कहता था हिज्र कुछ भी नहीं
ख़ुद को हलकान कर रही थी तुम
कितने आराम से हैं हम दोनों
देखा बेकार डर रही थी तुम
मैं न कहता था हिज्र कुछ भी नहीं
ख़ुद को हलकान कर रही थी तुम
कितने आराम से हैं हम दोनों
देखा बेकार डर रही थी तुम