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दबी कुचली हुई सब ख़्वाहिशों के सर निकल आए

दबी कुचली हुई सब ख़्वाहिशों के सर निकल आए

ज़रा पैसा हुआ तो च्यूँटियों के पर निकल आए

अभी उड़ते नहीं तो फ़ाख़्ता के साथ हैं बच्चे

अकेला छोड़ देंगे माँ को जिस दिन पर निकल आए

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दबी कुचली हुई सब ख़्वाहिशों के सर निकल आए — Mehshar Afridi • ShayariPage