इश्क़ में दान करना पड़ता है

इश्क़ में दान करना पड़ता है

जाँ को हलकान करना पड़ता है


तजरबा मुफ़्त में नहीं मिलता

पहले नुक़सान करना पड़ता है


उसकी बे-लफ़्ज़ गुफ़्तुगू के लिए

आँख को कान करना पड़ता है


फिर उदासी के भी तक़ाज़े हैं

घर को वीरान करना पड़ता है