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GHAZAL

इश्क़ में दान करना पड़ता है

इश्क़ में दान करना पड़ता है

जाँ को हलकान करना पड़ता है

तजरबा मुफ़्त में नहीं मिलता

पहले नुक़सान करना पड़ता है

उसकी बे-लफ़्ज़ गुफ़्तुगू के लिए

आँख को कान करना पड़ता है

फिर उदासी के भी तक़ाज़े हैं

घर को वीरान करना पड़ता है

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इश्क़ में दान करना पड़ता है — Mehshar Afridi • ShayariPage