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GHAZAL

हर अँधेरा रौशनी में लग गया

हर अँधेरा रौशनी में लग गया

जिसको देखो शाइरी में लग गया

हमको मर जाने की फ़ुर्सत कब मिली

वक़्त सारा ज़िन्दगी में लग गया

अपना मैख़ाना बना सकते थे हम

इतना पैसा मैकशी में लग गया

ख़ुद से इतनी दूर जा निकले थे हम

इक ज़माना वापसी में लग गया

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हर अँधेरा रौशनी में लग गया — Mehshar Afridi • ShayariPage