बग़ैर उसको बताए निभाना पड़ता है
बग़ैर उसको बताए निभाना पड़ता है
ये इश्क़ राज़ है इसको छुपाना पड़ता है
मैं अपने ज़हन की ज़िद से बहुत परेशाँ हूँ
तेरे ख़याल की चौखट पे आना पड़ता है
तेरे बग़ैर ही अच्छे थे क्या मुसीबत है
ये कैसा प्यार है हर दिन जताना पड़ता है