सर पर हवा-ए-ज़ुल्म चले सौ जतन के साथ Majrooh Sultanpuri@majrooh-sultanpuriसर पर हवा-ए-ज़ुल्म चले सौ जतन के साथ अपनी कुलाह कज है उसी बाँकपन के साथ